प्राणायाम कितने प्रकार के होते है ? “प्राणायाम क़ैसे करे “। जाने डिटेल में ।
कपालभाती योग भारतीय प्राचीन प्राणायाम का एक प्रकार है, जो श्वसन तंत्र को शुद्ध करने के लिए किया जाता है, और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। निम्नलिखित चरणों का पालन करें और कपालभाती योग को सही ढंग से करें:
- एक सुखासन या पद्मासन में बैठें।
- अपने हाथ अपने घुटनों पर रखें।
- अपने पेट को सुखा रखें।
- अपने दोनों नाक से अंदर साँस लें।
- फिर अपने पेट को अंदर की ओर खींचें और अचानक फिर से बाहर की ओर फेंक दें।
- इस प्रक्रिया को 10 से 20 बार दोहराएं।
ध्यान रखें कि कपालभाती योग के दौरान आपको समय-समय पर अपने नाक से साँस लेना चाहिए। साँस लेते समय ध्यान केंद्रित रखें और साँस को धीरे से लें और छोड़ें। इस प्रक्रिया को अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से करें इस योग को सभी उम्र के लोग कर सकते हैं, लेकिन यदि आप किसी भी बीमारी से पीड़ित हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
2. अनोलोम विलोम :
अनुलोम विलोम योग एक प्रकार का प्राणायाम होता है, जिसे करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- सुखासन या पद्मासन जैसे आरामदायक आसन में बैठें।
- अपने नाक से साँस लें और फिर धीरे से अपने मुंह से साँस छोड़ें।
- दाएं नाक से साँस लें और उसे धीरे से छोड़ें।
- अब बाएं नाक से साँस लें और उसे धीरे से छोड़ें।
- यह एक राउंड होता है। इस प्रक्रिया को तीन या पांच राउंड तक दोहराएं।
ध्यान रखें कि साँस लेते समय आपके मन को शांत रखना चाहिए और साँस को धीरे से लेना और छोड़ना चाहिए। आप इस प्रक्रिया को रोजाना कर सकते हैं, इससे आपको अधिकतम लाभ मिलेगा।
3. ब्रह्मारी प्राणायाम:-
ब्रह्मारी प्राणायाम एक शांति और स्थिरता भरा प्राणायाम है जो विशेष रूप से मानसिक चंचलता को कम करने के लिए जाना जाता है। इसके नाम को "ब्रह्मारी" इसलिए दिया गया है क्योंकि इस प्राणायाम के दौरान हम एक आवाज उत्पन्न करते हैं जो मधुमक्खी की भंवर जैसा सुनाई देता है।
इस प्राणायाम को करने के लिए, आप निम्नलिखित चरणों का अनुसरण कर सकते हैं:
- एक सुखासन में बैठें और अपनी आंखें बंद करें।
- आपके श्वास नाक से लीजिए और अपनी आंखें बंद करते हुए नाक से धीरे से बाहर फेंकें। इसके दौरान, ध्यान केंद्रित करें कि आप एक मधुमक्खी की भंवर के अंदर समाहित हैं।
- फेफड़ों को सम्पूर्ण रूप से खाली करें और धीमी रफ्तार से अपनी नाक से श्वास लीजिए। श्वास को अंतिम तक खींचें जब तक आपको उच्च स्वर में गुंजान नहीं होता है।
- धीरे से अपने करणी नालिका के माध्यम से श्वास छोड़ें जब तक आप अपने पूरे श्वास को निर्गुण करते हुए नहीं सुनते। आप एक मधुमक्खी की भंवर बनाते हुए श्वास को अंतिम तक खींच सकते हैं।
- श्वास को अंतिम तक खींचते हुए, अपने ध्यान को मधुमक्खी की भंवर से नीचे लाएं। इस दौरान आपको अपनी आवाज निकालनी होगी जो मधुमक्खी की भंवर जैसी सुनाई देती होगी।
- धीरे से श्वास छोड़ते हुए अपनी आवाज रोकेइस प्रक्रिया को चार-पांच बार दोहराएं।
- अंत में, अपनी आंखें धीरे से खोलें और ध्यान से अपने सामने एक फिजल की ओर देखें। आपको अपने शरीर में स्थिरता और शांति महसूस होती है।
- ब्रह्मारी प्राणायाम के लाभों में मानसिक चंचलता कम करना, तनाव और चिंता को कम करना, निद्रा में सुधार, मस्तिष्क के लिए उपयोगी होना शामिल हैं। यह भी शरीर के ओकसीजन के स्तर को बढ़ाता है और संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
शीतली प्राणायाम एक शांतिपूर्ण प्राणायाम है जो तापमान को कम करने में मदद करता है। यह एक श्वास क्रिया है जो आपको ताजगी प्रदान करती है और तनाव को कम करने में मदद करती है। यहाँ इस प्राणायाम को करने का तरीका दिया गया है:
- एक आरामदायक स्थान में बैठें और अपनी आंखें बंद करें।
- श्वास लें और अपनी जीभ को आगे की ओर नीचे धकेलें। जब आप अपनी जीभ को नीचे धकेलेंगे, तो अपने मुंह से हल्की सी श्वास लें।
- श्वास छोड़ने के बाद, अपनी नाक से श्वास लें। इसे शीतली श्वास भी कहा जाता है। श्वास को अपनी नाक के माध्यम से खींचें।
- श्वास को धीरे से छोड़ें और अपनी जीभ को मुँह से बाहर निकालें। इसे श्वास की रिलीज भी कहा जाता है।
- इस प्रक्रिया को छह से आठ बार दोहराएं। इस प्राणायाम को सुबह या शाम के समय करने से इसके अधिक फायदे होते हैं।
यह प्राणायाम गर्मियों में तापमान को कम करने में मदद करता है और सुबह उठने से पहले इसे करने से आपको उत्तेजित नहीं करेगा। इसे रोजाना करने से आपको ताजगी मिलती है और तनाव कम होता है। इसके अलावा, यह प्राणायाम मस्तिष्क को भी शांत करता है और मन को शांति देता है।
इस प्राणायाम को करने से पहले, आपको अपनी जीभ के बीच की दूरी की जांच करनी चाहिए। अगर आपकी जीभ कम या बड़ी है, तो आप शीतली प्राणायाम नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि आप नाक से संबंधित किसी भी समस्या से पीड़ित हैं, तो आप इस प्राणायाम को नहीं कर सकते हैं।
आपको अपने शरीर के लिए निम्नलिखित फायदे होंगे:
- शीतली प्राणायाम शांतिपूर्ण होता है जो तनाव को कम करता है।
- यह तापमान को कम करता है और शांति प्रदान करता है।
- यह आपको ताजगी देता है और मस्तिष्क को शांत करता है।
- इस प्रक्रिया को करने से आपका श्वसन तंत्र मजबूत होता है।
यह जान लेना भी महत्वपूर्ण है कि शीतली प्राणायाम को सही तरीके से करने के लिए अधिक से अधिक विश्राम और ध्यान से युक्त रखना चाहिए।
5. भस्त्रिका प्राणायाम:-
भस्त्रिका प्राणायाम श्वास को तेजी से बाहर निकालने वाले एक प्रकार का प्राणायाम है। इस प्रक्रिया के दौरान, श्वास बाहर की ओर जोर लगाकर छोड़ा जाता है। भस्त्रिका प्राणायाम एक बहुत ही शक्तिशाली विधि है जो आपके श्वास लेने की क्षमता को बढ़ाती है और आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- एक शांत महसूस करने वाले स्थान पर बैठें जहाँ आपको किसी भी तरह का विचलन नहीं होना चाहिए।
- अपनी सांस अंत तक खींचें जबकि आप अपने हाथों को अपने सीने के सामने रखें।
- अपनी श्वास को जोर से छोड़ें जबकि आप अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए अपने सीने के ऊपर ले जाते हैं।
- आपको अपनी सांस को सम्भालकर नहीं लेना है।
- अपनी श्वास को जब तक हो सके बाहर निकालें।
- श्वास को बाहर निकालने के बाद, अपनी सांस को आराम से वापस लें जबकि आप अपने हाथों को अपने सीने के नीचे लात
- अपनी सांस को कुछ समय के लिए रोकें।
- फिर से अपनी सांस खींचें जबकि आप अपने हाथों को अपने सीने के सामने रखते हैं।
- श्वास को जब तक हो सके जोर से छोड़ें जबकि आप अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए अपने सीने के ऊपर ले जाते हैं।
- आपको फिर से अपनी सांस को सम्भालकर नहीं लेना है।
- अपनी श्वास को जब तक हो सके बाहर निकालें।
- श्वास को बाहर निकालने के बाद, अपनी सांस को आराम से वापस लें जबकि आप अपने हाथों को अपने सीने के नीचे लाते हैं।
- अपनी सांस को कुछ समय के लिए रोकें और फिर से इस प्रक्रिया को कुछ बार दोहराएं।
ध्यान दें कि भस्त्रिका प्राणायाम न केवल श्वसन को तेज करने में मदद करता है बल्कि यह सिर और सिर के आस-पास के क्षेत्र को भी शुद्ध करने में मदद करता है। यदि आपको संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं हैं, तो आप एक चिकित्सक से सलाह लेने से पहले इसे करने से पहले चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए।
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