“प्राणायाम क्या है”! और कितने प्रकार के होते है “।

    



प्राणायाम एक हिंदू योग की विधि है, जिसमें व्यक्ति अपनी श्वास लेने की गति को नियंत्रित करता है। इसके द्वारा श्वास की गति को सम्भाला जाता है जिससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन आसानी से मिलता है।

प्राणायाम के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के श्वास विधि होती हैं जैसे कि उज्जयी, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, कपालभाति आदि। इन विभिन्न प्रकार के प्राणायामों के द्वारा शरीर को बेहतर ऑक्सीजन प्रदान किया जाता है जिससे उसकी स्वस्थता बढ़ती है।

प्राणायाम का अभ्यास मन को शांति देता है, स्थैतिक और गतिशील कार्यों को संतुलित करता है, सोचने की क्षमता को बढ़ाता है और अधिक श्वास लेने की क्षमता को विकसित करता है।

प्राणायाम के कई प्रकार होते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख प्रकार:

  1. अनुलोम विलोम प्राणायाम: इसमें श्वास को नाक से लेकर छाती तक की गति से नियंत्रित किया जाता है।
  2. उज्जयी प्राणायाम: इसमें श्वास को नाक से लेकर गले तक बैठाए रखा जाता है जिससे गले में एक उच्च आवाज उत्पन्न होता है।
  3. भस्त्रिका प्राणायाम: इसमें श्वास को अचानक बाहर कर दिया जाता है। इसे "बेल्लो पंच" नाम से भी जाना जाता है।
  4. कपालभाति प्राणायाम: इसमें श्वास को नाक से लेकर पेट तक की गति से नियंत्रित किया जाता है। इसे शुद्धि क्रिया भी कहा जाता है।
  5. अग्निसार प्राणायाम: इसमें श्वास को बाहर फेंककर पेट को अंदर की ओर झुकाया जाता है।
  6. शीतली प्राणायाम: इसमें श्वास को मुँह से अंदर खींचा जाता है।

ये अलग-अलग प्राणायाम होते हैं जो व्यक्ति की आवश्यकता और उद्देश्य के अनुसार अलग-अलग होते हैं।

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